सबसे जरूरी और ध्यान में रखने की बात है कि अगर शिवरात्रि का उपवास रख रहे है | तो आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और गर्म पानी से शरीर की सारी अशुद्धि दूर करनी चाहिए | नए वस्त्र पहनना जरूरी नहीं है लेकिन साफ-सुथरे कपड़े ही पहनें |
शिवलिंग पर कभी भी तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ाएं | शिवलिंग पर ठंडा दूध ही चढ़ाएं, अभिषेक हमेशा ऐसे पात्र से करना चाहिए जो सोना, चांदी या कांसे का बना हो |
ऐसी मान्यता है कि भक्तजनों को शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुर्भाग्य आता है | ऐसा करने से धन हानि और बीमारियां भी हो सकती है |
भगवान शिव को भूलकर भी केतकी और चंपा फूल नहीं चढ़ाएं, ऐसा कहा जाता है कि इन फूलों को भगवान शिव ने शापित किया था | केतकी का फूल सफेद होने के बावजूद भोलेनाथ की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए |
भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए | अक्षत का मतलब होता है अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है | इसलिए शिव जी को अक्षत चढ़ाते समय यह देख लें कि चावल टूटे हुए तो नहीं है |
शिवरात्रि पर तीन पत्रों वाला बेलपत्र शिव को अर्पित करें और डंठल चढ़ाते समय आपकी तरफ हो, टूटे हुए या कटे-फटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए |
भगवान शिव को दूध, गुलाब जल, चंदन, दही, शहद, घी, चीनी और जल का प्रयोग करते हुए तिलक लगाएं | भोलेनाथ को वैसे तो कई फल अर्पित किए जा सकते है, लेकिन शिवरात्रि पर बेर जरूर अर्पित करें क्योंकि बेर को चिरकाल का प्रतीक माना जाता है |
ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति पर केवल सफेद रंग के ही फूल ही चढ़ाने चाहिए क्योंकि भोलेनाथ को सफेद रंग के ही फूल प्रिय है | शिवरात्रि पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए चंदन का टीका लगा सकते है | शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक ना लगाएं, हालांकि भक्तजन मां पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति पर कुमकुम का टीका लगा सकते है |